International Labour Day 2023: मजूदरों के बलिदान को दर्शाता है 1 मई का दिन, जानें मज़दूर दिवस पर इसके इतिहास और महत्व को
- By Sheena --
- Saturday, 29 Apr, 2023
International Labour Day 2023 Know the celebration and history significance of the day
International Labour Day 2023: मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी। हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं. हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है। इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग है,जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है। मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है। आइए जानते है इसके इतिहास को और महत्व को।
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International Workers' Day इतिहास
मजदूरों के इस आंदोलन की शुरुआत 1 मई 1886 को (1st may labour day) अमेरिका में हुई थी। इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आ गए थे, दरअसल उस समय मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था। इस आंदोलन के बीच मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें मजदूरों की जान चली गई, वहीं 100 से ज्यादा श्रमिक घायल हो गए।
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क्या है इस दिन का महत्व ?
मई दिवस समाज के लिए और समाज के लिए मजदूरों के योगदान और बलिदान का जश्न मनाता है। मई दिवस 19वीं शताब्दी के अंत में मजदूरों के संघर्ष और उसके बाद के सशक्तिकरण का पर्याय है। इस दिन का महत्व उस समय से है जब संयुक्त राज्य अमेरिका में मजदूरों ने कठोर मजदूर कानूनों, मजदूरों के अधिकारों के उल्लंघन, खराब कामकाजी परिस्थितियों और भयानक काम के घंटों का विरोध करना शुरू कर दिया था।
भारत में कब से हुई मज़दूर दिवस मानाने की शुरुआत?
अंतर्राष्ट्रीय समाज सम्मलेन के बाद अमेरिका और कुछ अन्य देशों में 1889 से ही मज़दूर दिवस मनाया जाने लगा। परन्तु भारत में 1923 में चेन्नई से श्रमिक दिवस मनाये जाने की शुरुआत हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिन्दुस्तान की अध्यक्षता में 1 मई 1923 को मे डे मनाया गया। इसके बाद कुछ ही वर्षों में लेबर पार्टी, वामपंथी और समाजवादी संगठनों के प्रयासों से देशभर में यह दिवस मनाया जाने लगा।